कृपा वेणुगोपालन की यात्रा
कृपा प्रमस्तिष्क घात के साथ ही दृश्य-अवधारणा की समस्या से भी पीड़ित है। दृश्य-अवधारणा की समस्या का अर्थ आँख की पुतलियों का लगातार घुमते रहने से है। दृश्य-अवधारणा उसकी पढ़ाई के लिए बाधक है, जैसे कोई आम आदमी किसी बात को समझ सकता है वह अपनी पढ़ने या लिखने की क्षमता को विकसित करने के लिए ध्यान केंद्रित नहीं कर सकती है। उसकी याद करने की क्षमता काफी कम है, जबकि इसके लिए ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है। वह 'सुनकर सीखने’ में काफी अच्छी है। वह रट कर याद करती है और जब किसी विषय को कई बार दोहराया जाता है तो वह सामान्य व्यक्ति की तुलना में इसे बेहतर ढ़ंग से समझने में सक्षम है। वह ओपन स्कूल के माध्यम से दसवीं कक्षा की परीक्षा की तैयारी कर रही है। अब तक वह तीन विषयों में उतीर्ण हो चुकी है और अगले महीने से चौथे विषय के लिए तैयारी कर रही है। वह शिक्षक जिसने उसे दसवीं की परीक्षा के लिए तैयार किया, वह अपने प्रयास और महान सेवा के लिए विशेष प्रशस्ति का हकदार है। कृपा ने स्वास्थ्य और आत्म विकास के लंबे तथा मुश्किल सफर को तय किया है। कृपा अब वॉकर के उपयोग द्वारा बिना किसी की सहायता के घर के आसपास चलने में सक्षम है। वह कैलीपर और कोहनी की बैसाखी कि मदद से कुछ दूर तक चल सकती है। इन सभी उपलब्धियों का कारण फिजियोथैरेपी, उसकी दृढ़ता और 'असंभव' को 'संभव' बनाने की इच्छा शक्ति है। कृपा की स्थिति में सुधार के लिए दादा-दादी, विशेष स्कूल के शिक्षक और फिजियोथैरेपिस्ट के प्रयासों का उल्लेख करना आवश्यक है।
किसी बच्चे के विकास के सभी मानक, जो बच्चे के विकास को स्पष्ट करते है, कृपा के मामले में प्रत्यक्ष रूप से देरी हुई। उसने सामान्य बच्चों की तुलना में देर से बोलना शुरू किया। आज हिंदी, तमिल, बंगाली और अंग्रेजी जैसी भाषाओं में काफी संतोषजनक ढंग से खुद को व्यक्त कर सकती है। सामान्य तौर पर उसकी भाषाई क्षमता सराहनीय है। उसे संगीत पसन्द है।
उसकी धुनों को समझने, गीत को याद करने और किसी भी स्थिति में गाने की क्षमता सराहनीय है। एक दक्षिण भारतीय होने के बावजूद, उसे रवींद्र संगीत यानी टैगोर के गीत काफी पसन्द हैं।
कृपा ने टैगोर संगीत और कला सोसायटी, जमशेदपुर से रवींद्र के संगीतों पर सात साल का कोर्स किया तथा सफलतापूर्वक संगीत में डिप्लोमा हासिल किया। कार्यक्रम के दौरान उसने सामान्य बच्चों के साथ प्रतिस्पर्धा की तथा संगीत विद्यालय की सात शाखाओं के छात्रों के बीच पहली रैंक हासिल करके लगातार चार वर्षों तक खुद को सर्वश्रेष्ठ छात्रा के रूप में प्रतिष्ठित किया।
कृपा ने जमशेदपुर में संगीत के कई कार्यक्रमों में प्रदर्शन किया और अपनी संगीत की प्रतिभा के लिए पुरस्कार जीता है। मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि, वह रवींद्र संगीत में भजन और गीत के कार्यक्रमों के लिए प्रसिद्ध है।
कृपा ने अपने संगीत कौशल के लिए जिला प्रतिभा पुरस्कार जीता और वह जिला स्तर पर आयोजित होने वाली विभिन्न क्षेत्रों की प्रतियोगिताओं के दस विजेताओं में से एक थी। वह तमिल, बंगाली, हिंदी, तेलुगू, मराठी और कन्नड़ जैसी कई भाषाओं में गाने में सक्षम है।
कृपा ने ऑल इंडिया रेडियो, जमशेदपुर में भी प्रदर्शन किया है। कृपा सकारात्मक मन, मजबूत इच्छा शक्ति के साथ परिश्रमी बच्ची है।
कृपा आत्मविश्वास से भरी हुई है तथा उन लोगों के लिए खुशी का कारण है जिन लोगों ने उसकी विकास प्रक्रिया में उसका साथ दिया है।
कृपा वेणुगोपालन आज एक ऐसी बच्ची है जिसमें नई उम्मीद और नया व्यक्तित्व है। उसकी ध्वनि, पहले की तुलना में और अधिक मधुर हो गयी है, क्योंकि दिव्यांग कृपा में अब यह उम्मीद आ गई है कि वह जो करना चाहती है उसे करने में वह सक्षम है। हम एक परिवार जैसे हैं, वॉकर और बैसाखी से उसे स्वतंत्रता की दिशा में एक अलग और अधिक आत्मविश्वास के साथ-साथ स्वयं को आश्वस्त होकर चलते देखते हैं। उसका पुनर्वास उल्लेखनीय और आश्वस्त रहा है। वे लोग महान हैं जिन्होंने इस विशेष बच्ची के विकास की चुनौतीपूर्ण यात्रा में योगदान दिया है।
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